November 14, 2024 9:52 am

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पति की मौत के बाद नारकीय जिंदगी जीने को विवश , पंचायत ने सहयोग से हाथ खींचा, प्रशासन ने भी मुंह मोड़ लिया

पति की मौत के बाद नारकीय जिंदगी जीने को विवश

पंचायत ने सहयोग से हाथ खींचा

प्रशासन ने भी मुंह मोड़ लिया

(सच तक न्यूज़ कोंडागांव) बड़े राजपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत गम्हरी निवासी कौशल्या बाई नेताम (उम्र 50 वर्ष) के पति शुकलु नेताम की मौत 4 साल पहले हो चुकी है. पति की मौत के बाद आदिवासी बेवा कौशल्या दर-दर की ठोकरें खा रही है। कौशल्या के पांच पुत्री एवं दो पुत्र हैं जिसमें बड़ी बेटी रतना का विवाह हो चुका है तथा ज्योति(17) एवं श्री बती(15) को वह कांकेर शहर के समीप एक साहूकार के पास घरेलू कार्य के लिए छोड़ दी है ताकि उनके भूखे मरने की नौबत न आए। वहीं अनुष्का (10 वर्ष) गांव के ही होटल में काम कर रही है।दो बेटे राजकुमार(12 वर्ष ) एवं प्रकाश (9 वर्ष )  को वह गांव के ही एक व्यक्ति के पास छोड़ दी है ताकि उनका पेट भर सके। छोटी बेटी रागिनी को वह जो कि 3 वर्ष की है उसे वह गोद में लेकर भीख मांगती है। पति की मौत के बाद उसे राशन दुकान से चावल मिलना भी बंद हो गया वही आंगनबाड़ी केंद्र ने भी महिला एवं उसके मासूम बेटियों के लिए कभी कुछ नहीं सोचा जबकि आंगनबाड़ी से भी मां एवं बच्चों के लिए गरम भोजन की व्यवस्था की जाती है। सरकार ऐसे गरीबों के लिए अनेक योजनाएं चलाती है किंतु इस महिला तक सरकार की कोई भी योजना पहुंचती नहीं दिख रही है यहां तक कि उसे अंत्योदय योजना का चावल भी नसीब नहीं है। अब वह भीख मांग कर अपना गुजारा कर रही है। 4 साल पहले जब उसकी पति की मौत हुई तब से लेकर अब तक उसे चावल नहीं मिल रहा है वह कई बार राशन दुकान का चक्कर काट चुकी है किंतु उसे हर बार मना कर दिया जाता है अंततः वह गांव में भीख मांगने के लिए मजबूर हुई किंतु गांव में कोई भीख देने को भी तैयार नहीं था जिससे वह गांव छोड़कर वहां से 12 किलोमीटर दूर ग्राम बांसकोट में एक ग्रामीण मयाराम पांडे के पास आसरा ले रखी है जहां से वह अपने चार वर्षीय मासूम के साथ सुबह से भीख मांगने निकल जाती है तथा दोपहर में जो चावल आदि मिलता है उसे स्वयं एवं बच्ची का भरण पोषण होता है। बच्चों की पढ़ाई तो दूर इन्हें किसी सरकारी योजनाओं का भी लाभ नहीं मिल रहा है। जिन बच्चों को स्कूलों एवं आंगनबाड़ी में हंसते मुस्कुराते देखना चाहिए उन बच्चों की ऐसी स्थिति निश्चय ही बस्तर के लिए भयावह है। ग्राम पंचायत गम्हरी की सरपंच रेखा मरकाम एवं उनके पति हेमंत मरकाम ने बताया कि महिला के बेटे के नाम पर राशन कार्ड है।

 

मामले की जांच की जायेगी, यदि महिला का राशन कार्ड नहीं बना होगा तो उसे राशन कार्ड दिया जाएगा—फनेंद्र सोम तहसीलदार बडेराजपुर

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Author: sachtak24

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