परंपरागत अंदाज में मनाई गई गोवर्धन पूजा
राज शार्दुल
कोंडागांव — ग्रामीण क्षेत्र में गोवर्धन पूजा का त्यौहार परंपरागत तरीके से मनाई जाती है। इस दिन गाय बैल को खिचड़ी खिलाने के अलावा धान एवं कृषि संबंधित औजारों की विशेष पूजा होती है। इस दिन ग्रामीण खेतों में जाकर धान की बालियां काट लाते हैं तथा उन्हें सजाकर घर के चौखट एवं गौशाला में खिचड़ी पर रखकर पूजा करते हैं।
गौरा गौरी की होती है स्थापना
कई गांव ऐसे हैं जहां धनतेरस के दिन सार्वजनिक तौर पर गौरा गौरी की स्थापना की जाती है। गौरा गौरी की पूजा होती है। जिसमें प्रतिदिन देर रात तक बाजे गाजे के साथ बैगाओं का नृत्य चलता है। अमावस्या की देर रात कलश यात्रा निकलती है जिससे दूसरे दिन कलश को सुबह गौरी गौरा के साथ विसर्जन किया जाता है। गौरी गौरा के विसर्जन के पूर्व गाय बैल को खिचड़ी नहीं खिलाया जाता। किसी कारणवश गौरा गौरी विसर्जन में देर हो तो भी गाय बैल को खिचड़ी खिलाने से रोक कर रखा जाता है।
खिचड़ी की होती है पूजा
गाय बैल को खिचड़ी खिलाने के लिए विशेष रूप से तैयारी की जाती है। गांव में गाय बैल की पूजा के लिए एक सप्ताह पहले ही तैयारी शुरू होती है। गले एवं सींग आदि में बांधने के लिए सजावट की चीजें साप्ताहिक बाजारों से खरीद कर लाते हैं। इसके अलावा खिचड़ी के लिए बनने वाले पकवान के लिए अनेक प्रकार के अनाज हाट बाजारों से इकट्ठा करके रखते हैं तथा गोवर्धन पूजा के दिन सुबह से ही खिचड़ी की तैयारी होती है। खिचड़ी में कुम्हड़ा, बरबटी, कोचई अरबी मसाला शकरकंद एवं अन्य प्रकार के कंदमूल विशेष रूप से खिचड़ी में डाले जाते हैं। जब गाय बैल को खिचड़ी का भोग खिलाया जाता है तत्पश्चात वहीं से गाय बैल का जूठन ग्रहण करने के पश्चात ग्रामीण भोजन करते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि नया अनाज का गाय एवं बैल को भोग लगाने के पश्चात ग्रामीण को खाने योग्य माना जाता है इसके पूर्व नया खाने पर्व पर भी नया अनाज की पूजा होती है तत्पश्चात लक्ष्मी पूजा के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा पर समस्त प्रकार के चावल एवं दलहन तिलहन का खिचड़ी बनाकर भोग लगाया जाता है।
बांसकोट ग्राम के उपसरपंच अशोक कुमार एवं हीरालाल चक्रधारी ने बताया कि दिवाली से पूर्व देवी देवताओं की जात्रा आवश्यक है। यहां जात्रा में देवी देवताओं को नए अनाज का भोग लगाया जाता है। उसके पश्चात दिवाली पर गाय बैल को भोग लगाते हैं तत्पश्चात नया धान एवं अन्य अनाज को उपयोग में लाया जाता है।
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गोवर्धन पूजा के पूर्व निकलती है गौरी गौरा की कलशयात्रा
