छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान, 7 और 17 नवंबर को होगी वोटिंग
केंद्रीय चुनाव आयोग सोमवार छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि छत्तीसगढ़ में दो चरण में 7 और 17 नवंबर को वोटिंग होगी। वहीं मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को मतदान किए जाएंगे। 3 दिसंबर को वोटों की गिनती होगी।
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को लेकर बढ़ी सरगर्मी
चुनाव आयुक्त ने बताया कि पांचों चुनावी राज्यों में चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले हमने 40 दिनों में सभी राज्यों का दौरा किया। इस दौरान आयोग ने राजनीतिक दलों, केंद्र और राज्य प्रवर्तन एजेंसियों के साथ चर्चा की।
पिछला चुनाव 2018 में हुआ था
चुनाव आयोग ने छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम विधानसभा के लिए भी चुनावी तारीखों की घोषणा कर दी है। छत्तीसगढ़ में इस समय भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है, जिसका कार्यकाल 3 जनवरी 2024 को खत्म हो रहा है। राज्य में पिछला चुनाव साल 2018 में हुआ था।
पिछले विस चुनाव में किसको कितनी सीटें?
छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 68 सीटें पर जीत हासिल करते हुए राज्य में पहली बार सरकार बनाई थी। वहीं, बीजेपी को महज 15 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। इसके अलावा 7 सीटें अन्य के खाते में गई थीं।
छत्तीसगढ़ में बढ़ी राजनीतिक सरगर्मी
बीते कुछ महीनों से छत्तीसगढ़ में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है और पार्टियां अपनी तैयारियों में जुटी हुई हैं। जहां कांग्रेस राज्य में सत्ता दोहराने के लिए कोशिश कर रही है वहीं, बीजेपी अपनी खोई हुई सत्ता वापस पाने के लिए काम कर रही है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस, मध्य प्रदेश में बीजेपी, तेलंगाना में बीआरएस और मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है। सभी पार्टीयां राज्य की सत्ता में वापसी करने के लिए कमर कस चुकी हैं।
बस्तर में बढ़ चुकी है चुनावी गहमागहमी
चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही बस्तर में भी चुनावी गहमागहमी बढ़ चुकी है हालांकि बस्तर संभाग की कुछ सीटों के लिए चुनाव तारीखों के ऐलान से पूर्व ही चुनाव प्रचार तेज गति से चल रहा था जिसमें केशकाल विधानसभा का नाम प्रमुख तौर पर लिया जा सकता है जहां विधानसभा उपाध्यक्ष एवं पूर्व आईएएस के बीच सीधी टक्कर होना है। वहीं कोंडागांव विधानसभा क्षेत्र भी चुनाव से पहले ही चर्चा में आ चुका था क्योंकि यहां पूर्व पीसीसी अध्यक्ष एवं वर्तमान में मंत्री पद पर बैठे मोहन मरकाम एवं पूर्व मंत्री लता उसेंडी के बीच टक्कर होना है। ये दोनों ही प्रत्याशी परंपरागत प्रतिद्वंद्वी के रूप में जाने जाते हैं दूसरी सूची में भाजपा ने लता उसेंडी को स्थान दिया है जो कांग्रेस के लिए चिंता का कारण हो सकता है क्योंकि यहां यह चर्चा थी की पार्टी के द्वारा लता उसेंडी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर उन्हें क्षेत्र की राजनीति से हटाकर राष्ट्रीय राजनीति में जगह दी जाएगी किंतु यहां पूर्व पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम के टक्कर में कोई अन्य दावेदार नजर नहीं आ रहा था और उन्हें सिर्फ मैडम ही टक्कर दे सकती है। जब प्रदेश में भाजपा को केवल 15 सीट मिली थी उस समय भी पिछले चुनाव में लता उसेंडी ने मोहन मरकाम को जबरदस्त टक्कर दी थी। इसलिए यह माना जा रहा है कि लता उसेंडी को भाजपा से उम्मीदवार बनाए जाने से यह कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है। यदि इसके पश्चात हम नारायणपुर विधानसभा की चर्चा करें तो यहां भाजपा के कद्दावर नेता एवं पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने भी बहुत कम मतों के अंतर से चुनाव हारा था। इस समय उनके सामने कांग्रेस से कोई भी दावेदार टक्कर में दिखाई नहीं दे रहा है। इसलिए माना जा रहा है कि यह सीट भी भाजपा अपने खाते में आपस ले सकती है। वहीं केशकाल विधानसभा की बात करें तो यहां विधानसभा उपाध्यक्ष संतराम नेताम ने अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली है उनके सामने भाजपा किसी को भी प्रत्याशी बनती है तो संत नेताम का ही पलड़ा भारी दिखाई देगा ऐसी स्थिति में यहां पूर्व आईएएस एवं क्षेत्र में कलेक्टर रह चुके नीलकंठ टेकाम को भाजपा ने प्रत्याशी बनाकर कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी करने की कोशिश की है। वर्तमान में उनकी स्थिति मजबूत तो नहीं दिखाई दे रही है किंतुअभी समय है , रणनीति के तहत स्वयं को उनके बराबरी में खड़ा कर सकते हैं।