केशकाल विधानसभा// हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहां दम था हमारी कश्ती वहां डूबी जहां पानी ही कम था//
सच तक 24 न्यूज़ कोंडागांव
हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहां दम था हमारी कश्ती वहां डूबी जहां पानी ही कम था
यह मुहावरा केशकाल विधानसभा के लिए सटीक बैठता है यहां दो बार के विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष कांग्रेस के कद्दावर नेता संत राम नेताम का चुनाव हार जाना क्षेत्र के लिए ही नहीं बल्कि बस्तर संभाग के लिए अप्रत्याशित है क्योंकि बस्तर संभाग की 12 सीटों की जब चर्चा होती थी तो जीतने वालों में सबसे ऊपर केशकाल विधानसभा का नाम होता था। माना जाता था कि यहां भाजपा चाहे किसी को भी चुनाव में उतारे संत नेताम ही चुनाव जीतेंगे मतदान के तीन दिन पहले तक यही स्थिति थी। मतदान के तीन दिन पहले समीकरण बदलना शुरू हुआ जिसकी भनक तक संत नेताम को नहीं लगी और वे चापलूसों से घिरे रहे। पूर्व में हो चुके रैली और सभाओं की भीड़ उनके दिमाग में चल रहा था इधर कलेक्टर रह चुके नीलकंठ टेकाम अंदर ही अंदर सेंधमारी कर रहे थे उनको पता नहीं था कि अपने ही लोग नीलकंठ टेकाम के साथ मिलकर उनकी कब्र खोद चुके हैं और जो उनको मालूम था उसे उन्होंने गंभीरता से लिया नहीं दूसरी ओर जहां उनके वफादार लोग पूरी रकम खर्च न करके अपनी तिजोरिया भर रहे थे वहीं असंतुष्ट लोग भाजपा एवं कांग्रेस दोनों से खर्च ले रहे थे और कांग्रेस के परंपरागत वोटो को रातों-रात भाजपा में तब्दील कर दिए। 48 घंटे में तस्वीर काफी बदल चुकी थी। स्थानीय सर्वे करने वाले बुद्धिजीवियों को यह पता लग चुका था कि अब संत नेताम का जीत पाना मुश्किल ही नहीं असंभव है। उस समय कुछ लोगों ने भविष्यवाणी करना शुरू कर दिया किंतु खुले तौर पर लोग संत नेताम के खिलाफ टिप्पणी करने में संकोच कर रहे थे।भाजपा में वह ताकत नहीं था कि वह संत नेताम को हरा दे संत नेताम को तो कांग्रेसियों ने हराया है। केशकाल विधानसभा के तीनों ब्लॉक में बड़े-बड़े सुरमा अपनी ही पार्टी की कब्र खोदने में लगे हुए थे उनकी गतिविधियों को देखने वालों को पहले ही यह पता लग चुका था कि यह कब्र खोद कर ही रहेंगे। संत नेताम 6150 वोटो से चुनाव हारे हैं असंतुष्टों ने कम से कम 10 हजार वोटो का खेला कर दिया है। यदि गुटबाजी न होती भीतर घात न होता और एक जुटता से चुनाव लड़े होते तो संत नेताम 10 हजार से अधिक वोटो से निश्चित रूप से चुनाव जीते होते।