15 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू होने जा रही है। शहरी हो या ग्रामीण अंचल नवरात्रि में माता की स्थापना में जौ के ज्वारे बोये जाते हैं। किसी नये मिट्टी के बर्तन में साफ मिट्टी लेकर उसमें अच्छी किस्म के मोटे जौ बिखेर कर उसके ऊपर लगभग आधा इंच मिट्टी की परत बिछा देंवें। पूजा स्थान पर जहां आप कलश की स्थापना करना चाहते हैं, वहां पर चावल की गोलाकार या पुष्प की आकृति बनाकर, उसके ऊपर मिट्टी के बर्तन को स्थापित कर देवें।
नवरात्रि स्थापना के दिन पूजा के समय उसमें आवश्यकता अनुसार पानी भर देवें। पानी इतना ही भरें जितना मिट्टी सोख लेवे। मिट्टी के ऊपर पानी भरा हुआ नहीं रहना चाहिए। उसके बाद उस बर्तन के बीचो बीच मिट्टी का छोटा नया कलश पानी से भर के रख दें । कलश के ऊपर आम या अशोक के पत्ते चारों तरफ रखते हुए बीच में एक नया नारियल रख देंवें कलश में मौली अवश्य बांधे। पूजा में कलश स्थापना के समय इस कलश की यथा विधि पूजा करें।
अगले 3 दिन तक उनमें पानी नही भरें। तीसरे दिन जौ अंकुरित होने लगेंगे। पांचवें- छठे दिन करीब 6 इंच के ज्वारे होने पर उनको कलश के चारों तरफ मोली से बांध देंवें। चौथे -पांचवें दिन से आप थोड़ा थोड़ा जल डाल सकते हैं। वैसे कलश का पानी रिस रिस कर ज्वारों को गीला रखेगा, लेकिन फिर भी कुछ पानी डाल सकते हैं । अष्टमी या नवमी के दिन आपके ज्वारे 9 इंच से लेकर 1 फीट तक की हो सकते हैं।
अखंड ज्योति जलाने के लिए आप यह निश्चित करें कि अखंड दीपक सरसों के तेल का रखना चाहते हैं या गाय के शुद्ध देसी घी का रखना चाहते हैं। घी का दीपक रखने के लिए किसी बड़ी कटोरी में पिघला हुआ घी लेकर रुई की बत्ती से जलाया जाता है। तेल का दीपक मिट्टी के बड़े दीपक में तेल में लंबी रुई की बत्ती से जलाया जाता है।
जहां आप दीपक की स्थापना करना चाहते हैं, वहां पर चावल की गोलाकार या पुष्प की आकृति बनाकर, उसके ऊपर कटोरी या मिट्टी का दीपक स्थापित कर देवें।
कलश पूजन के बाद दीपक की भी यथा विधि पूजा की जाती है। घी के दीपक में बत्ती पर काजल नहीं आता। अखंड दीपक के लिए दिन में समय-समय पर उसको संभालते रहें और आवश्यकता अनुसार घी डालने की व्यवस्था करते रहें।
आप तेल के दीपक में बत्ती पर काजल आ जाता है अतः समय-समय पर उसको छोटी चिमटी से हटाना पड़ता है। तेल के दीपक में बत्ती के सहारे तेल बाहर भी निकलता रहता है अतः तेल के दीपक के नीचे एक बड़ा खाली कटोरा रखना जरूरी होता है ताकि तेल पूजा स्थान पर नहीं फैले और उस कटोरे में इकट्ठा होता रहे। सावधानी रखें कि घी के दीपक के बजाय तेल के दीपक की देखभाल ज्यादा कठिन होती है।
दीपक को हवा से बचाकर रखना जरूरी होता है ।यदि पूजा स्थान में हवा आने की संभावना हो तो दीपक को कांच के उपकरण से ढका जा सकता है। दीपक को रात के समय भी एक दो बार देख लेना चाहिए। यदि दीपक की बत्ती बदलना आवश्यक हो तो पहले पुरानी बती से नई बत्ती जला कर उसके बाद पुरानी बत्ती को हटा सकते हैं। ध्यान रखें कि नई और पुरानी दो बत्तीयों में से एक बत्ती लगातार चलती रहे, वरना आपका दीपक अखंड नहीं रह पायेगा
अखंड दीपक रखने में पहली बार असुविधा हो सकती है, लेकिन अगली बार विशेष परेशानी नहीं होती। आशा है उपरोक्त जानकारी आपके लिए लाभदायक होगी।