सच तक 24 न्यूज़ कोंडागांव
केशकाल विधानसभा में संतराम नेताम की छवि को बेहद लोकप्रिय माना जाता था उपमुख्यमंत्री टीएस बाबा ने उन्हें केशकाल का हीरा बताया था। बस्तर संभाग की 12 सीट ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में उनकी लोकप्रियता की चर्चा रही इस सीट को जीतने वाले सीटों की सूची में सबसे ऊपर रखा जाता था। आखिर ऐसा क्या हो गया कि 17000 वोटो की सेंधमारी हुई।अचानक यहां पहुंचे भाजपा प्रत्याशी ने लगभग एक माह के अल्पसमय में 10 साल की मेहनत पर पानी फेर दिया। लोगों को संत नेताम की हार हजम नहीं हो रही है जबकि भाजपा के प्रत्याशी नीलकंठ टेकाम बेहद खामोशी से चुनाव जीत गए. संत नेताम की हार को अप्रत्याशित माना जा रहा है. जहां कई विधायक ढूंढने से नहीं मिलते वहीं संत नेताम लोगों के पास जाकर उनकी समस्या पूछ कर समाधान करते थे। माना जाता है कि दूसरे कार्यकाल के ढाई साल तक उनका व्यवहार अलग था उसके बाद बदलाव आना शुरू हुआ. ताकत और रुतबा बढ़ा तो व्यवहार भी बदलने लगा. जनाधार और अनुभवी नेता किनारे लगा दिए गए और चापलूसों ने उन्हें पूरी तरह घेरे रखा. कुछ मतलब परस्त स्वार्थी अपनी क्षुधा पूर्ति के लिए झूठी प्रशंसा में लगे रहे. उनके लिए संत नेताम ने जनाधार वाले आदिवासी जनप्रतिनिधियों तक को छोड़ दिया बाद में जब परिणाम आया तब देखा गया कि जो डींगें हांकते थे उनके ही क्षेत्र में सफलता नहीं मिली जो घातक सिद्ध हुआ.
पूर्व विधायक कृष्ण कुमार ध्रुव का मानना है कि कांग्रेस के लोग ठीक से मेहनत नहीं कर पाए ओवर कॉन्फिडेंस में थे वहीं भाजपा के लोग कम समय में अच्छी मेहनत करके चुनाव जीत गए केशकाल विधानसभा के अंदरुनी गांवों तक एंटी इनकंबेंसी का असर रहा जिसे संत नेताम भांप नहीं पाए।
अहम और वहम ले डूबा
वरिष्ठ पत्रकार एवं केशकाल विधानसभा के सुदूर अंचल तक की जमीनी जानकारी रखने वाले कृष्ण दत्त उपाध्याय का मानना है कि संत नेताम को अहम और वहम ले डूबा. संत नेताम उन लोगों से घिरे रहे जिनका उद्देश्य कभी जनहित एवं विकास नहीं था जो केवल अपनी स्वार्थ पूर्ति एवं व्यवसाय के उद्देश्य से झूठी प्रशंसा करते रहे और अपना काम निकालते रहे वे स्वयं को सर्वे सर्वा दिखाते रहे. संत नेताम को कोई सच बात बताए तो वह कभी स्वीकार नहीं करते थे उनके मन में यह अहम आ गया था कि मैं ही सबसे बड़ा ज्ञानी हूं। मैं राजनीति का मास्टर हूं. चापलूसों से घिरे रहने के कारण उन्हें जमीनी हकीकत का पता नहीं चला और उनके खिलाफ ग्रामीण एवं सुदूर अंचल तक जनाक्रोश फैलता रहा इसके अलावा जो मीडिया कर्मी उनके साथ लग रहे वह भी झूठी खबरें छाप कर उन्हें पीछे धकेलने में कोई कसर नहीं छोड़े.
पत्रकार एवं प्रेस क्लब कोंडागांव के सचिव तथा जिले के दोनों विधानसभा चुनाव पर पैनी नजर रखने वाले नीरज उइके का कहना है कि संत नेताम चापलूसों से घिरे रहे जिसके कारण उनको जमीनी हकीकत की जानकारी नहीं हो पाई। केशकाल के कुछ मीडिया कर्मी भी उन्हें गलत जानकारी पेश करके अपना मतलब निकालते रहे। आदिवासी मतांतरण को लेकर आदिवासी समुदाय में जन आक्रोश भी था नारायणपुर एवं कोंडागांव दोनों विधानसभा में मतांतरण को लेकर कई बार माहौल खराब हुआ था जिस पर विधायक के द्वारा कोई ठोस पहल नहीं किया किया गया. नीरज उइके मानते हैं कि केशकाल विधानसभा में सड़कों की खराब स्थिति भी हार का प्रमुख कारण है . वरिष्ठ पत्रकार के शशि धारण का मानना है की संत नेताम ने चुनाव में मेहनत तो बहुत किया किंतु ओवर कॉन्फिडेंस उनको ले डूबा जो उनके इर्द गिर्द रहे वे ही लाभ उठाते रहे जिनको लाभ मिलना था उन तक लाभ सही ढंग से नहीं पहुंच पाया.