मनरेगा में कार्य स्वीकृति के नाम पर हितग्राहियों से हो रही वसूली बड़े राजपुर ब्लॉक में लगातार मिल रही शिकायत
मनरेगा योजना जब लागू की गई थी तो सरकार की मंशा यह थी कि चूंकि सीधे श्रमिक के खाते में पैसा जाएगा तो उसमें भ्रष्टाचार की गुंजाइश नहीं होगी किंतु मनरेगा में इसकी तोड़ कैसे निकाला गया यह देखना है तो बड़े राजपुर के मनरेगा के सभी कार्यों की सूक्ष्म जांच की जाए तो पता चलेगा कि मनरेगा से अधिक भ्रष्टाचार और किसी योजना में नहीं हो सकता।
बड़े राजपुर ब्लॉक में आए दिन मनरेगा में भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही है पूर्व में यहां पुल पुलिया निर्माण के नाम पर पंचायत प्रतिनिधियों से की वसूली की जाती रही जिसकी उच्च स्तर पर शिकायत की गई थी उसके बाद इन दोनों नाली निर्माण के नाम पर एक लाख रूपए लेकर 20 लाख रुपए तक का कार्य स्वीकृत किया जा रहा है यह चर्चा भी सर्वत्र है अब इससे ज्यादा पशु शेड निर्माण के नाम पर किसानों से सीधे पैसा वसूली किये जाने की शिकायतें मिल रही है।
कोंडागांव जिले के बड़े राजपुर ब्लॉक में मनरेगा के अंतर्गत निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है मनरेगा में काम कर रहे छोटे कर्मचारी से लेकर पीओ तक सभी वसूली में लगे हैं शिकायत तो यह भी है कि एक नाली निर्माण के लिए एक लाख रुपया लिया जा रहा है इसके पहले पुल पुलिया निर्माण में भी एक-एक लाख रुपए लिए जाने की शिकायत हुई थी। अब गरीब किसानों के लिए बनाए जा रहे पशु शेड के निर्माण कार्य की स्वीकृति के लिए इस्टीमेट एवं फार्म के नाम पर किसानों से दो सौ रुपए वसूला जा रहा है मरंगपुरी के किसानों ने इसकी शिकायत बड़े राजापुर जनपद पंचायत के सीईओ से की तो उन्होंने छोटा सा जवाब दिया कि वसूली करना गलत है। यहां किसानों ने बताया कि दो सौ रुपए वसूल करके फार्म स्वीकृत किया जाता है। प्रकरण स्वीकृति के पश्चात 2000 रुपए और लिया जाता है पंचायत के मनरेगा कर्मी से लेकर जनपद पंचायत में बैठे अधिकारी तक इसमें संलिप्त दिख रहे हैं। बताया जा रहा है कि पूरा वसूली पीओ के मार्गदर्शन में हो रहा है। कोई काम नहीं तो लोग मनरेगा से ही अपनी जेब भर रहे हैं।